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वैद्य राज

घरेलु उपचार

में कुछ घरेलु उपचार लिख रहा हूँ। आप इन्हे अच्छे वैद जी की सलाह से ले सकते हैं क्योंकि आपकी बीमारी को देखते हुए वैद जी ही आपको सही सलाह दे सकते हैं।
कुछ उपाय निम्न प्रकार हैं। :-
तुलसी एक दिव्य पौधा है।
(कैंसर में भी लाभदायक )
तुलसी की २१ से ३५ पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिलबट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भांति पीस लें और १० से ३० ग्राम मीठी दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खायें। ध्यान रहे दही खट्टा न हो और यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम दवा शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भुलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं। दवा दिनभर में एक बार ही लें परन्तु कैंसर जैसे असह्य दर्द और कष्टप्रद रोगो में २-३ बार भी ले सकते हैं।
इसके तीन महीने तक सेवन करने से खांसी, सर्दी, ताजा जुकाम या जुकाम की प्रवृत्ति, जन्मजात जुकाम, श्वास रोग, स्मरण शक्ति का अभाव, पुराना से पुराना सिरदर्द, नेत्र-पीड़ा, उच्च अथवा निम्न रक्तचाप, ह्रदय रोग, शरीर का मोटापा, अम्लता, पेचिश, मन्दाग्नि, कब्ज, गैस, गुर्दे का ठीक से काम न करना, गुर्दे की पथरी तथा अन्य बीमारियां, गठिया का दर्द, वृद्धावस्था की कमजोरी, विटामिन ए और सी की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग, सफेद दाग, कुष्ठ तथा चर्म रोग, शरीर की झुर्रियां, पुरानी बिवाइयां, महिलाओं की बहुत सारी बीमारियां, बुखार, खसरा आदि रोग दूर होते हैं।
यह प्रयोग कैंसर में भी बहुत लाभप्रद है।
सेब स्वस्थ के लिए लाभदायक
(कैंसर में भी लाभदायक )
दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर खाने से गुस्सा शान्त होता है। पन्द्रह दिन लगातार खायें। थाली बर्तन फैंकने वाला और पत्नि और बच्चों को मारने पीटने वाला क्रोधी भी क्रोध से मुक्ति पा सकेगा।

जिन व्यक्तियों के मस्तिष्क दुर्बल हो गये हो और जिन विद्यार्थियों को पाठ याद नहीं रहता हो तो इसके सेवन से थोड़े ही दिनों में दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति बढ़ जाती है। साथ ही दुर्बल मस्तिष्क के कारण सर्दी-जुकाम बना रहता हो, वह भी मिट जाता है।

कहावत है - "एक सेब रोज खाइए, वैद्य डाक्टर से छुटकारा पाइए।"

जोड़ों के दर्द (गठिया) का अचूक उपाय
बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो - दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें। या नागौरी असगन्ध की जड़ और खांड दोनों समभाग लेकर कूट-पीस कपड़े से छानकर बारिक चुर्ण बना लें और किसी काँच के पात्र में रख लें। प्रतिदिन प्रातः व शाम चार से छः ग्राम चुर्ण गर्म दूध के साथ खायें। आवश्यकतानुसार तीन सप्ताह से छः सप्ताह तक लें। इस योग से गठिया का वह रोगी जिसने खाट पकड़ ली हो वह भी स्वस्थ हो जाता है। कमर-दर्द, हाथ-पाँव जंघाओं का दर्द एवं दुर्बलता मिटती है। यह एक उच्च कोटि का टॉनिक है।
पेट में कीडे
अजवायन का चूर्ण बनाकर आधा ग्राम लेकर समभग गुड में गोली बनाकर दिन में तीन बार खिलाने से सभी प्रकार के पेट के कीडे नष्ट होते है। या सुबह उठते ही बच्चे दस ग्राम (और बडे २५ ग्राम) गुड खाकर दस - पन्द्रह मिनट आराम करें। इससे आंतों में चिपके सब कीडे निकलकर एक जगह जमा हो जायेंगे। फिर बच्चे आधा ग्राम (और बडे एक - दो ग्राम) अजवायन का चुर्ण बासी पानी के साथ खायें। इससे आंतों में मौजूद सब प्रकार के कीडे एकदम नष्ट होकर मल के साथ शीघ्र ही बाहर निकल जाते हैं। या अजवायन चूर्ण आधा ग्राम में चुटकी भर काला नमक मिलाकर रात्रि के समय रोजाना गर्म जल से देने से बालकों के कीडे नष्ट होते हैं। बडे अजवायन के चुर्ण चार भाग में काला नमक एक भाग मिलाकर दो ग्राम की मात्रा से गर्म पानी के साथ लें। या अजवायन का चूर्ण आधा ग्राम, साठ ग्राम मट्ठे या छाछ के साथ और बडो को दो ग्राम १२५ ग्राम मट्ठे के साथ देने से पेट के कीडे नष्ट होकर मल के साथ बाहर निकल जाते है।
तनाव दूर करें
( क्योंकि हर बीमारी की जड़ है तनाव )
तनाव के बुरे प्रभावों को हम सभी जान चुके हैं, लेकिन अमेरिकी अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार मसूड़ों की सड़न से लेकर खांसी और बुखार जैसी बीमारियों के लिए भी यह जिम्मेदार है।

'एसोसिएशन आफ साइकोलाजिकल साइंस' की मासिक पत्रिका 'आबजर्वर' द्वारा प्रकाशित इस अध्ययन में मनोविज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, स्नायु विज्ञान और अनुवांशिकी के क्षेत्र में किए गए अध्ययन के अनुसार तनाव लगभग सभी बीमारियों की जड़ है।

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार तनाव विपरीत परिस्थितियों के अनुसार ढलने की इंसान की क्षमता को प्रभावित करता है। तनाव की परिस्थिति में 'एड्रनलीन' और 'कार्टीजोल' जैसे हारमोन निकलते हैं जिनके चलते धड़कन तेज होने और सांस की गति बढ़ने के अलावा रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है।

अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि तनाव के चलते मस्तिष्क में होने वाले बदलाव पेट व आंतों की गड़बड़ियों सहित मसूड़ों में खराबी, मधुमेह यहां तक की कैंसर का भी कारण बन सकते हैं। साथ ही इसके चलते कैंसर जैसी बीमारी और एचआईवी जैसे वायरसों से लड़ने की क्षमता भी प्रभावित होती है आशा करता हूँ की आप सबसे इनसे लाभानावित होंगे ।
गर्मी में ठंडक

तेज धूप व गर्मी का प्रभाव हमारी त्वचा, आँखों और अन्य अंगों पर पड़ता है। पानी की कमी से गला व होंठ सूखने लगते हैं। पानी व नमक की कमी होने से डी-हाइड्रेशन हो सकता है। चेहरा मुरझाया-सा और शरीर सुस्त हो जाता है।

शरीर में ऑक्सीजन और पानी की कमी हो जाने से बेचैनी, घबराहट, सुस्तपन और उल्टी-दस्त आदि गर्मी से संबंधित रोग बढ़ जाते हैं। गर्मी के मौसम की तेज धूप में भी यदि स्वस्थ रहते हुए ठंडक का अहसास चाहते हैं तो हम आपको बताते हैं योग के कुछ नुस्खे।

प्राणायाम : शीतली और शीतकारी प्राणायाम करें। आप इसे कभी भी, कहीं भी कर सकते हैं। बस ध्यान रखें कि जहाँ भी कर रहे हैं वहाँ की वायु शुद्ध हो। इससे शरीर में भरपूर ऑक्सीजन का संचार होगा। फेफड़े और पेट में किसी भी प्रकार की गर्मी नहीं रहेगी।

शीतली : इसमें मुख खोलकर जुबान की नाली बनाकर नाली के द्वारा श्वास धीरे-धीरे लय में अंदर खींचे फिर मुख बंद कर कुछ देर तक श्वास अंदर रोके रखने के बाद नाक से निकाल दें। इसे आठ या दस बार करें। इससे शरीर में ठंडक बढ़ती है।

शीतकारी : शीतकारी में दाँतों को भींचकर होंठों से श्वास खींचें। कुछ देर तक रोके रखने के बाद नाक से निकाल दें। इसे भी आठ से दस बार करें और तेज गर्मी में भी भरपूर ठंडक का मजा लें।

मुद्रा : शून्य, वायु और वरुण मुद्रा गर्मी में लाभदायक है। गर्मी में आमतौर पर सुस्तपन छा जाता है। शून्य मुद्रा आपके शरीर के सुस्तपन को कम कर स्फूर्ति जगाती है। वरुण मुद्रा शरीर के जल तत्व के संतुलन को बनाए रखती है और वायु मुद्रा एसिडिटी, दर्द, दस्त, कब्ज, अम्लता आदि को दूर करती है।
चेहरे का ध्यान रखें : ज्यादा से ज्यादा पानी पीने से विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं और गरमाहट भी छँट जाती है। त्वचा पर रूखापन भी नहीं रहता। अंग संचालन के अंतर्गत आने वाले मुँह के व्यायाम करें। जैसे शेर की तरह मुँह फाड़ना और बंद करना। मुँह में हवा भरकर उसे दाएँ-बाएँ घुमाना आदि।

आँखों पर रखें नजर: गर्मी के मौसम में प्राय: आँखों में जलन होने लगती है। अत: जब भी बाहर निकलें सनग्लासेस का प्रयोग करें। गुलाब जल में साफ कॉटन को भिगोकर आँखों पर रखें और कुछ देर आँखें बंद करके लेटें। अंग संचालन के अंतर्गत आने वाले आँखों के व्यायाम करें। जैसे आँखों को तेजी से झपकाना और आँखों की पुतलियों को दाएँ-बाएँ और ऊपर-नीचे करने के बाद गोल-गोल घुमाना।

योगासन : वैसे तो अंग संचालय या शूक्ष्म व्यायाम ही गर्मी के लिए अति उत्तम हैं, फिर भी आप ताड़ासन, कटि चक्रासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन, हलासन, ब्रह्म मुद्रा और पद्मासन कर सकते हैं।

पेय पदार्थ : पेय पदार्थ में अधिक से अधिक पानी और फलों के ताजा जूस का सेवन करें, दही की पतली छाछ, आम का पना, इमली का खट्टा-मीठा जलजीरा आदि तरल पदार्थों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। ताजा फलों का जूस एंटी ऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर होने के कारण शारीरिक व मानसिक थकान को दूर करने में सहायक होता है।

भोजन : इस मौसम में हलका भोजन करें, अधिक तले-भुने गरिष्ठ भोजन से बचें। ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, खीरा, फालसा, संतरा, बेल तथा पुदीने का भरपूर सेवन गर्मी से राहत दिलाता है। हलका भोजन चुस्ती-फुर्ती तो देता ही है, गरमी के आभास को भी कम करता है।

स्नान-ध्यान : तेज धूप, प्रदूषण व देखभाल की कमी से शरीर, बाल और चेहरा अपनी चमक खो देते हैं और वे बेजान-से लगते हैं। अत: दही व मुलतानी मिट्टी का पैक बनाकर आधा घंटा तक पूरे शरीर पर लगाकर रखें और फिर ठंडे पानी से स्नान करें।

शून्य और सूर्य मुद्रा
वरुण और वायु मुद्रा
लचीले शरीर के लिए करें योग
देह की सुंदरता


कमरदर्द छूमंतर
 को जिंदगी में कभी - न - कभी कमर दर्द की शिकायत जरूर होती है। बदलते लाइफस्टाइल और घंटों बैठकर काम करने की मजबूरी के कारण बीमारी का शिकंजा और फैलता जा रहा है। लेकिन अगर हम अच्छा लाइफस्टाइल और सही पॉश्चर अपनाएं , तो कमर दर्द हमसे कोसों दूर रहेगा। कमर दर्द हो जाए तो भी सही इलाज और मैनेजमेंट से उससे पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है।
कैसे होता है कमर दर्द शुरू
कमर दर्द कभी भी अचानक दर्द शुरू हो जाता है। कमर दर्द दो तरह का होता है - पहला : अचानक हुआ तेज दर्द ( एक्यूट पेन ) और दूसरा : लंबे वक्त तक चलनेवाला दर्द ( क्रॉनिक पेन ) । पहला दर्द अक्सर ज्यादा वजन उठाने या गलत तरीके से सो जाने पर किसी नस के खिंचने से होता है। यह जल्दी खत्म भी हो जाता है। यह दर्द जिम आदि जानेवाले युवाओं में ज्यादा होता है। इसमें कमर में एक चोक - सी ( चुभन ) महसूस होती है। कई बार यह आराम करने , सिकाई करने और बाम आदि लगाने से दो - चार दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। दूसरा दर्द लंबे समय तक रहता है और उसका पूरा और सही इलाज जरूरी है। यूं तो कमर दर्द कभी भी हो सकता है लेकिन उम्र बढ़ने पर आशंका ज्यादा होती है।
दर्द की वजहें
- गलत पॉश्चर यानी गलत तरीके से चलना और बैठना
- मोटापा
- एक्सरसाइज न करना
- सिडेंटरी लाइफस्टाइल यानी बहुत कम चलना - फिरना
- ऐसा प्रफेशन , जिसमें लगातार बैठकर काम करना पड़ता है
- ऐसा फर्नीचर , जिसमें बैक को पूरा सपोर्ट नहीं मिलता
- स्पाइन की टीबी , ओस्टियोपॉरोसिस , स्पॉन्डिलाइटिस , मैरो सेल्स का कैंसर आदि बीमारियां
- मिनोपॉज़ , गॉल ब्लैडर स्टोन , सर्वाइकल स्ट्रोक और बाकी लेडीज़ प्रॉब्लम
सही पॉश्चर सबसे जरूरी
कमर दर्द की सबसे बड़ी वजह है , गलत तरीके से बैठना और चलना। कमर हमेशा सीधी करके बैठना चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अकड़कर बैठें। कमर को हल्का - सा कर्व देकर बैठें। कुर्सी पर बैठते हुए ध्यान रहे कि कमर सीधी हो , कंधे पीछे को हों और हिप्स कुर्सी की पीठ से सटे हों। कंधे झुकाकर न चलें , न ही शरीर को जबरन तानें।

बचे रह सकते हैं दर्द से
- पॉश्चर सुधारें। सही पॉश्चर होने से दर्द की आशंका बहुत कम हो जाती है।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें , खासकर कमर और पेट को मजबूती देने वाली एक्सरसाइज।
- किचन में स्लैब की ऊंचाई इतनी हो कि झुककर काम न करना पड़े।
- बेड पर लेटकर पढ़ने के बजाय कुर्सी - मेज पर पढ़ें।
- बेड पर आधे लेटकर टीवी न देखें। सही तरीके से बैठें या थक गए हैं तो पूरा लेटकर टीवी देखें।
- तनाव से दूर रहें। यह दर्द की बड़ी वजहों में से है।
- वजन न बढ़ने दें। जिनकी तोंद है , वे खासतौर पर सावधानी बरतें।
- पोंछा लगाते हुए और कपड़े प्रेस करते हुए ध्यान रखें और उलटी - सीधी दिशा में झुके नहीं।
- बिस्तर से एक झटके में न उठें। पहले किसी साइड में करवट लें और फिर बैठें।
- योग की शुरुआत किसी एक्सपर्ट की देखभाल में करें। गलत तरीके से आसन करना भारी पड़ सकता है।
- घर या ऑफिस में तापमान 18-20 तक न ले जाएं। 26-27 डिग्री तापमान ठीक है। ज्यादा ठंड दर्द की वजह बन सकती है।
- अच्छे से सांस लें। डीप ब्रीदिंग से तन और मन , दोनों रिलैक्स रहते हैं।
दर्द हो जाए तो ...
दर्द होने के बाद सबसे जरूरी है आराम करना। अक्सर नस खिंचने से अचानक होनेवाला दर्द तो आराम करने से ही ठीक हो जाता है। जो भी एक्सरसाइज या योग कर रहे हैं , फौरन बंद कर दें और डॉक्टर को दिखाएं। अगर डॉक्टर के पास उसी वक्त जाना मुमकिन नहीं है तो एक - दो दिन तक क्रोसिन ले सकते हैं। साथ में वॉलिनी , मूव , वॉवेरन जेल , डीएफओ जेल आदि किसी दर्दनिवारक बाम या जेल से हल्के हाथ से मालिश कर सकते हैं। दर्द होने के बाद कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं , मसलन वजन न उठाएं , आगे की ओर न झुकें। झुकना ही हो तो घुटनों के बल बैठें। फिर सामान उठाएं या जो भी काम करना हो , करें। बिस्तर से उठते हुए पहले करवट लें और फिर उठें।
कौन - से टेस्ट जरूरी
आमतौर पर शुरुआत में ब्लड टेस्ट और एक्सरे ही काफी होते हैं। बाद में इन टेस्टों के आधार पर जरूरत पड़ने पर डॉक्टर एमआरआई , सीटी स्कैन आदि टेस्ट लिख सकते हैं। बोन मैरो कैंसर से होनेवाले दर्द के लिए ज्यादा बारीक जांच की जरूरत पड़ती है। अगर दर्द किसी बीमारी की वजह से है तो सबसे पहले उस बीमारी का इलाज किया जाता है। मसलन ऑस्टियोपोरोसिस में डॉक्टर खूब चलने की सलाह देते हैं। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। धूप में चलने से विटामिन - डी भी मिलता है।
कुछ खास सवाल
एक बार दर्द शुरू होने पर क्या उसे पूरी तरह खत्म किया जा सकता है ?
बिल्कुल , लेकिन इलाज ढंग से कराना चाहिए और नियमित रूप से एक्सरसाइज करनी चाहिए।
सर्दियों में कमर दर्द या जोड़ों का दर्द ज्यादा सताता है , क्यों ?
सर्दियों में दर्द बढ़ जाता है क्योंकि इस दौरान जोड़ों की मोबैलिटी कम हो जाती है।
बेल्ट पहनना कितना फायदेमंद है ? क्या वाइब्रेटर्स या मेग्नेट बेल्ट का कोई नुकसान भी है ?
डॉक्टर की सलाह पर ही बेल्ट पहनें। अचानक या तेज दर्द होने पर ही बेल्ट इस्तेमाल करें। बेल्ट मसल्स को सपोर्ट देने के लिए इस्तेमाल की जाती है। ऐसे में यह मसल्स का काम करती है और लंबे समय तक इसका यूज करने से मसल्स कमजोर हो सकती हैं।
ऑफिस में कितनी देर के बाद ब्रेक लेना चाहिए ?
लंबे समय तक एक ही पॉश्चर में रहना हमारे शरीर के लिए सही नहीं होता। बैठकर काम करते हुए या पढ़ते हुए हर घंटे के बाद पांच मिनट का ब्रेक लेना चाहिए। दो घंटे के बाद तो जरूर ब्रेक लें। डेस्कटॉप उस पर काम करनेवाले व्यक्ति के मुताबिक तैयार होना चाहिए। स्क्रीन की ऊंचाई इतनी हो कि वह आंखों के सामने हो , काम करने के लिए झुकना न पड़े और कमर व पैर दोनों 90 के कोण पर हों। पैरों के नीचे सपोर्ट के लिए छोटा स्टूल या चौकी रखें। कुर्सी ऐसी हो , जो लोअर बैक को सपोर्ट करे। बिल्कुल छोटा - सा कुशन भी लगा सकते हैं। इससे बैक को सपोर्ट मिलेगा।
कैसे गद्दे और तकिए का इस्तेमाल करें ?
गद्दा सख्त होना चाहिए। कॉयर का गद्दा सबसे अच्छा है। रुई का गद्दा भी इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि उसमें स्पंज इफेक्ट बचा हो। ऐसा न हो कि वह 10-12 साल पुराना हो और पूरी तरह चपटा हो गया हो। तकिया भी लगाना चाहिए लेकिन पतला - सा। तकिया इस तरह लगाएं कि वह गर्दन को सपोर्ट दे और सिर व गर्दन के बीच के गैप को भरे। कमर में दर्द होने पर कुछ लोग जमीन पर सोने लगते हैं , जोकि तकलीफ को और बढ़ा देता है क्योंकि हमारी रीढ़ की हड्डी की बनावट हल्की - सी कर्व वाली होती है। सीधी सपाट और सख्त जमीन पर सोने से उस पर दबाव पड़ता है और दर्द बढ़ जाता है।
प्रेग्नेंसी में क्या खास सावधानी बरतें ?
प्रेग्नेंसी के दौरान कमर दर्द होने की आशंका ज्यादा होती है क्योंकि लिगामेंट्स स्ट्रेच होते हैं। डॉक्टर द्वारा बताई गई एक्सरसाइज या योग करें। डिलिवरी के बाद एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। ध्यान रहे कि इस दौरान वजन न बढ़े। इसके लिए फैट के बजाय ज्यादा प्रोटीन खाएं और कैल्शियम लें। जितना हो सके , वॉक करें।
ऐक्यूप्रेशर और ऐक्यूपंक्चर से दर्द से कितनी राहत मिलती है ?
इस पर एक्सपर्ट्स की अलग - अलग राय है। कुछ का कहना है कि एक्युप्रेशर और एक्युपंक्चर से फौरी राहत मिलती है क्योंकि एंडॉर्फिन हार्मोन रिलीज होता है। लेकिन लंबे वक्त में ये कारगर नहीं होते। वहीं , कुछ का कहना है कि दर्द से निबटने में ये पूरी तरह कारगर हैं और ये दर्द को जड़ से खत्म करते हैं।
क्या एक बार दर्द होने के बाद कभी आगे की ओर झुकना नहीं चाहिए ?
तेज दर्द में आगे को बिल्कुल नहीं झुकना चाहिए लेकिन एक बार दर्द ठीक होने के बाद धीरे - धीरे एक्सरसाइज करके स्पाइन को मजबूत बनाना चाहिए। इसके बाद आगे भी झुकना चाहिए क्योंकि हमारी रीढ़ दोनों तरफ झुकने के लिए बनी है। इससे रीढ़ और मजबूत होती है।
होम्योपैथी में इलाज
अगर खिंचाव या किसी चोट की वजह से अचानक दर्द हो जाए तो आर्निका ( arnica) लें। अगर चलने पर दर्द बढ़ जाता है तो रसटॉक्स -30 ( rux tox ) या ब्रायोनिया -30 ( bryonia ) ले सकते हैं। अगर सिकाई से दर्द में आराम मिलता है तो मैग्नेशियम फॉस ( magnesium phos (63) लें। इनमें से किसी भी दवा की पांच - छह गोलियां दिन में तीन बार लें। मैग्नेसियम फॉस की गोलियां चूसकर ऊपर से दो - चार घूंट गुनगुना पानी पी लें। इससे जल्दी आराम मिलेगा।
( नोट : दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें। अगर मजबूरी में बिना सलाह के ले रहे हैं और आराम नहीं होता तो जल्दी डॉक्टर को दिखाएं। )
फिजियोथेरपी और दर्द
फिजियोथेरपिस्ट के पास डॉक्टर की सलाह पर ही जाना चाहिए क्योंकि पहले यह जानना जरूरी है कि दर्द की वजह क्या है। फिजियोथेरपी में दो हिस्से होते हैं - एक्सरसाइज और थेरपी। सबसे अहम है एक्सरसाइज। जरूरत के मुताबिक शॉक थेरपी , अल्ट्रासाउंड थेरपी , थर्मोथेरपी , इंटरफंक्शनल थेरपी ( आईएफटी ) आदि भी कराई जाती हैं। लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि हर तरह की फिजियोथेरपी हर दर्द के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सकती। मसलन , पेट के कैंसर से होनेवाले दर्द में फिजियोथेरपी नहीं कराई जाती , जबकि स्पासमैटिक ( अकड़न ) दर्द में इसका असर काफी अच्छा होता है। आमतौर पर 2-3 हफ्ते तक फिजियोथेरपी कराना काफी होता हैं शॉक थेरपी से ट्रिगर पॉइंट्स ( मसल्स के अंदर जो गांठें बन जाती हैं ) के दर्द को दूर किया जाता है। इलेक्ट्रो थेरपी से हड्डियों और मसल्स का अलाइनमेंट किया जाता है और उन्हें मजबूती दी जाती है। यह थेरपी दर्द से राहत दिलाती है और सूजन को कम करती है। 20-30 मिनट की 7-10 सीटिंग्स काफी हैं। बाद में मैनुअल थेरपी की जाती है। अगर कोई हिस्सा जाम हो गया है तो प्रेशर डालकर उसका मोबलाइजेशन कराते हैं। एक्सरसाइज से हड्डियों और मसल्स की स्ट्रेचिंग और स्ट्रैंथनिंग कराई जाती है। कोर स्टैबिलिटी एक्सरसाइज से कमर के हिस्से को मजबूती दी जाती है।

कौन - सी एक्सरसाइज करें
जिन्हें दर्द नहीं है लेकिन डेस्क जॉब में हैं और चाहते हैं कि उन्हें कमर दर्द न हो , उन्हें रस्सी कूदना , सीढ़ियां चढ़ना - उतरना , वॉकिंग , जॉगिंग , रनिंग , स्विमिंग , साइक्लिंग , आदि करना चाहिए। इससे दर्द होने की आशंका कम हो जाएगी।

जिन लोगों को लंबर कैनाल स्टैनोसिस हो यानी बैठे रहने पर कोई दिक्कत न हो लेकिन अचानक खड़े होने पर कमर में दर्द और पैरों में भारीपन लगे , उन्हें घुटने को पेट से लगाने वाली एक्सरसाइज करनी चाहिए। वे लेटे - लेटे साइक्लिंग भी कर सकते हैं।
रीढ़ की हड्डी से जुड़े किसी भी दर्द में पीछे की ओर झुकनेवाली एक्सरसाइज करें। 10 से शुरू करें और बढ़ाकर 20-30 बार तक ले जाएं। एक्सरसाइज दिन में दो - तीन बार कर सकते हैं।

आयुर्वेद और नैचुरोपैथी
- जिस वजह से दर्द है , उसी के मुताबिक इलाज किया जाता है।
- अगर ज्यादा वजन से कमर दर्द हो रहा है तो सबसे पहले मोटापा कम करने की कोशिश की जाती है। इसके लिए हाइड्रोथेरपी का सहारा लिया जाता है। कोल्ड वॉटर मसाज और कोल्ड स्पाइनल बाथ दिया जाता है। इसके बाद कोल्ड सर्कुलर जेट थेरपी ( पानी के तेज प्रवाह से शरीर का वजन कम करना ) दी जाती है।
- शरीर से सारे जहरीले तत्व निकालने की कोशिश की जाती है। अगर कब्ज होती है और उससे बनी गैस दर्द की वजह बनती है तो कब्ज का इलाज किया जाता है। इसके अलावा , स्टीम बाथ से भी जहरीले तत्व निकाले जाते हैं।
- कटि स्नान से भी राहत मिलती है। टब में सादा पानी भरें। उसमें पेट के नीचे का हिस्सा पानी में डूबा होना चाहिए। 15-20 दिन तक रोजाना 20 मिनट करें। इससे शरीर में हीट पैदा होती है। बॉडी में खून का दौरा तेज होता है। मसल्स रिलैक्स होती हैं। वैसे जिनको दर्द नहीं है , वे भी कटि स्नान कर सकते हैं। इससे शरीर से जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं। जिनको दर्द नहीं है , उन्हें ठंडा पानी ज्यादा फायदा पहुंचाता है।
- अगर किसी नस के खिंचने से दर्द हो तो सिंकाई कर पहले दर्द को कम किया जाता है। फिर तेल से मसाज दी जाती है ताकि खून का दौरा बढ़ सके।
- कटि बस्ती यानी कमर के जिस हिस्से में दर्द है , उसके चारों ओर आटे का घेरा बनाकर गरम तेल डालते हैं। इससे शरीर को सेंक मिलता है।
- महानारायण तेल की हल्के हाथ से मालिश करें।
- योगराज गुग्गुल , महायोगराज गुग्गुल , रासना गुग्गुल या अमृत गुग्गुल आदि में से किसी भी गुग्गुल की दो - दो गोलियां सुबह - शाम पानी से ले सकते हैं।
- ऐक्युप्रेशर और ऐक्युपंक्चर काफी कारगर साबित होते हैं। तेज दर्द में 10 से 25 दिन और पुराने दर्द में 45 दिन की एक्युप्रेशर थेरपी काफी होती है। ऐक्युपंक्चर में 10 दिन की एक सिटिंग होती है। तेज दर्द में ऐसी एक सिटिंग और पुराने दर्द में तीन सिटिंग्स में मरीज को काफी फायदा हो जाता है।

डाइट
- डायबीटीज के मरीज गाजर खाएं और बाकी लोग गाजर का जूस पिएं। गाजर नेचरल पेनकिलर है।
- कच्चे लहसुन की दो - दो कलियां रोजाना सुबह - शाम साबुत खाएं।
- आधा चम्मच मेथी दानों को धोकर रात को आधे कटोरी पानी में भिगो दें। सुबह दाने चबा लें और पानी पी लें।
- किसी भी साग खासकर पालक के नीचे के डंठलों का सूप या साग बनाकर खाएं।
- एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर पिएं।

कौन - से आसन फायदेमंद
ताकि दर्द हो ...
- सर्पासन , पश्चिमोत्तान , अर्धचक्रासन , सेतुबंधासन , शलभासन , पवनमुक्तासन , पादहस्तासन करें।
दर्द है तो ...
- बहुत तेज दर्द है तो कोई भी आसन न करें। रिलेक्सेशन के लिए अनुलोम - विलोम प्राणायाम करें।

हल्का दर्द है तो
सर्पासन कर सकते हैं। आराम - आराम से सांस लेते हुए इस आसन को करें। मकरासन , शलभासन व भुजंगासन भी कर सकते हैं। पेट के बल लेटकर हाथ आगे को फैलाएं और पैर पीछे की ओर उठाएं। आसन करते हुए हल्का - सा भी दर्द हो तो वहीं रुक जाएं।

कौन से आसन करें
भुजंगासन

पेन मैनेजमेंट के लिए ...
आगे झुकनेवाले और तेज मूवमेंट वाले आसन न करें। बाकी आसन कर सकते हैं।